Sunday, April 20, 2008

नज्म अधूरे हैं.............

जब-जब टूटेगा दिल किसी का...बर्बाद होगा
कोईमेरे चमन का फूल किसी का गुलशन महकाएगी
खुदा कसम .....सिर्फ तेरी ही याद आएगी

जब ख्वाब वजूदों से रु-ब-रु होगा
और ख्वाब अहसासों में समा जाएगी
ख्वाब देखने से पहले के वक्त को कोसेगा कोई
और किसी के ख्वाबों की मल्लिका खुद के ख्वाबों में खो जाएगी
खुदा कसम ... मेरे ख्वाबों को भी तेरी याद ही तोड़ जाएगी

वफा भी कारीगरी है यह कोई तुझसे सीखे..
दिल की बाजीगरी कोई तुझसे सीखे......
हर मौसम में शाख बदलना तुझसे सीखे...
पल-पल में कोई आँख बदलना तुझसे सीखे...
क्या इस बार कली की भौंरे से निबह जाएगी...
तु ही बता मुझे तेरी कैसी-कैसी याद आएगी........

तु दिल से नाजुक है, नादान है, या तुझमें बचपना है...
जो भी है मैं क्यों सोंचूं..क्योकि अब तो तू खुद ही एक बुरा सपना है
तेरे रोने का गम होता था मुझे कभी...पर अब क्यों नही होता ऐसा
क्या अब उन आंसुओं की कोई कीमत ना रही..
या अब तेरे आंसुओं में शातिरपना है...
इन आंसुओं के ताप से और कितनों का दिल जलाएगी...
तू सोच कि मुझे किन हालातों में तेरी याद आएगी....

नज्म अधूरे हैं...... इंतजार कीजिए ...कुछ और छंदों का