Sunday, September 28, 2008

मौज की सजा
एक दिन गया मैं पार्क में, हुआ अचंभा देखकर
जिस शय से डरता था दिल, दिल ने कहा तू वो कर
देखा एक हसीना थी, ना हया शर्म ना लाज डर
कोई आए, कोई जाए, कोई देखे... देखकर मुस्काए
मैं देख उसे हुआ शर्मत्तर
अपने प्रियतम के बाहों में लेटी थी रख वो अपना सर
कभी घूरती उसकी आंखों को. कभी चूमती उसकी बाहों को
कभी लिपट जाते थे परस्पर दो अधर
तनिक भी ख्याल न था उसे की इस मजा का हश्र क्या होगा
भड़क गई गर आग तन की तो कम से कम नौ माह का सजा होग
किस्मत होगी गर ठीक अगर तो डॉ़क्टर से जमानत मिल जाएग
और नहीं तो शमशान पे मां बाप का बैंड बज जाएगा
हर तरफ थूथू होगी गाली से कान पक जाएगा
इतना तक तो चलेगा...........
पर उसका क्या होगा जो इस धरती पर आएगा
सोचो क्या मासूम वह सर भी कभी उठाएगा
तुम करो मजा का जुर्म और सजा वह हर पल पाएगा
होकर दक्ष श्रेष्ठ भी वो अपमान सरासर पाएगा
तुम करो मजा का जुर्म और सजा वह हर पल पाएगा
गर होगा वह यशस्वी तो कोई दुर्योधन उसे बहलाएगा
अंत होगा यह कि किसी अर्जुन की भेंट चढ़ जाएगा
तुम कुंती सी बिलखोगी और सूर्य नजर नहीं आएगा
तुम करो मजा का जुर्म और सजा वह हर पल पाएगा

Saturday, June 28, 2008

शिंजनी की रियलिटी

शिंजनी की रियलिटी
वेस्ट बंगाल की शिंजनी एक रियालिटी शो में जज की नसीहत को बर्दाश्त नहीं कर पाने के कारण कोमा में चली गई। शिंजनी 16 साल की एक ऐसी लड़की, जिसकी चाहत तो ऊंचे उड़ान भरने की थी, लेकिन अफसोस की उड़ान भरने से पहले ही चोटिल हो गई शिंजनी...। जिसने भी इस खबर को सुना उसे कुछ अलग ही किस्म के दर्द का एहसास हुआ...। लेकिन घटना के बाद जिस तरह से जजों की भूमिका को कटघरे में खड़ा किया जाने लगा वह हमारी उसी महत्वकांछा को दिखाता है... जिस महत्वकांछा की पूर्ती नहीं होने पर शिंजनी अपना सुध-बुध खो बैठी...। और जजों की भूमिका को सबसे ज्यादा गलत बताने की कोशिश की टेलीविजन मीडिया ने क्योंकि आधे घंटे का प्रोग्राम चलाने के लिए उन्होंने इस घटना जुडें दूसरे पहलुओं पर चर्चा की कोशिश ही नहीं की...।
मैं शिंजनी की हालत से दुखी जरुर हूं लेकिन ये मानने को बिल्कुल तैयार नहीं के जिम्मेवार शो के जज हैं... बल्कि मेरे लिहाज से मासूम शिंजनी अभी इतनी समझदार नहीं हुई थी कि वो स्टेज पर अपनी आलोचनाओं को बर्दाश्त कर सके... अगर जज शो में शिंजनी को गलतियों पर नसीहत नहीं देते तो आखिर उसे कौन बताता कि संगीत में आगे बढ़ने के लिए उसे और क्या करना चाहिए... उसी जज को जायज माना जाता है जो ईमानदार फैसला दे... और अगर फैसले की परिणति किन्ही कारणों से दुखद हो जाए तो इसमें जज की क्या गलती... लोकप्रियता पसंद आलोचक प्रवृति की मीडिया और लोगों के लिए जज इस मामले में सबसे सुलभ निशाना नजर आए इसलिए वे इसे भुना रहे है... और अगर वो शिंजनी की हालत के लिए जज को जिम्मेवार मानते हैं तो... ऐसे लोग भी कम बड़ा गुनाह नहीं कर रहे ... क्योंकि जिस तरीके से जज को सरेआम गुनाहगार घोषित किया जा रहा है... कहीं ऐसा न हो की अपराधबोध की भावना से ग्रसित होकर जज कुछ ऐसा-वैसा कदम उठा ले... तब गुनाहगार कौन होगा ?

इस हादसे के बाद रियलिटी शो को भी कटघरे में खड़ा किया जा रहा है। इन्हें भी कटघरे में खड़ा करने का काम वही चैनल कर रहे हैं जो 24 घंटे न्यूज चलाने का लाइसेंस लेकर 12 घंटे रियलिटी शो को रिकार्ड करके चलाते है...। लेकिन मसाला प्रेमी ऐसी मीडिया की बात पर कैसे यकीन करें... रियलिटी शो ने कई छुपे रुस्तमों से दुनिया का परिचय तो कराया ही... कितने होनहारों की जिंदगी भी बदल दी। कईओं को आगे बढ़ने का राह दिखाया तो इसके जरिए भावनात्मक संबंध भी जुड़े... । रियलिटी शो से प्रभावित होकर कई माता पिता ने अपने बच्चों के हुनर को तराशने में दिलचस्पी दिखाई। जो हमारे कलात्मक विकास के अनेकों वैराइटी की संभावनाएं बढ़ा रहा है।
शिंजनी रियालिटी शो के कैंडिडेट्स और उनके माता-पिता को एक सबक दे गई... कि इस खेल में भी धैर्य की जरुरत है... अपने आपको हरपल मजबूती से पेश करने की जरुरत है... हर विपरीत परिस्थितियों से जूझने की जरुरत है... अपनी आपको हार और जीत से उपर समझने की जरुरत है.. ये फार्मूला सभी बचपन से पढ़ते और सनते आएं हैं... लेकिन जरुरत पड़ने पर भूलते भी आए है... शिंजनी की घटना को मेरी शब्दों में कहें तों...
" दिल्लगी उतनी करो जिससे दिल बहल जाए,
इतना नहीं की दिलबर ही दिल का कातिल निकल जाए"

'छलिया' प्रभात

Sunday, April 20, 2008

नज्म अधूरे हैं.............

जब-जब टूटेगा दिल किसी का...बर्बाद होगा
कोईमेरे चमन का फूल किसी का गुलशन महकाएगी
खुदा कसम .....सिर्फ तेरी ही याद आएगी

जब ख्वाब वजूदों से रु-ब-रु होगा
और ख्वाब अहसासों में समा जाएगी
ख्वाब देखने से पहले के वक्त को कोसेगा कोई
और किसी के ख्वाबों की मल्लिका खुद के ख्वाबों में खो जाएगी
खुदा कसम ... मेरे ख्वाबों को भी तेरी याद ही तोड़ जाएगी

वफा भी कारीगरी है यह कोई तुझसे सीखे..
दिल की बाजीगरी कोई तुझसे सीखे......
हर मौसम में शाख बदलना तुझसे सीखे...
पल-पल में कोई आँख बदलना तुझसे सीखे...
क्या इस बार कली की भौंरे से निबह जाएगी...
तु ही बता मुझे तेरी कैसी-कैसी याद आएगी........

तु दिल से नाजुक है, नादान है, या तुझमें बचपना है...
जो भी है मैं क्यों सोंचूं..क्योकि अब तो तू खुद ही एक बुरा सपना है
तेरे रोने का गम होता था मुझे कभी...पर अब क्यों नही होता ऐसा
क्या अब उन आंसुओं की कोई कीमत ना रही..
या अब तेरे आंसुओं में शातिरपना है...
इन आंसुओं के ताप से और कितनों का दिल जलाएगी...
तू सोच कि मुझे किन हालातों में तेरी याद आएगी....

नज्म अधूरे हैं...... इंतजार कीजिए ...कुछ और छंदों का