Saturday, June 28, 2008

शिंजनी की रियलिटी

शिंजनी की रियलिटी
वेस्ट बंगाल की शिंजनी एक रियालिटी शो में जज की नसीहत को बर्दाश्त नहीं कर पाने के कारण कोमा में चली गई। शिंजनी 16 साल की एक ऐसी लड़की, जिसकी चाहत तो ऊंचे उड़ान भरने की थी, लेकिन अफसोस की उड़ान भरने से पहले ही चोटिल हो गई शिंजनी...। जिसने भी इस खबर को सुना उसे कुछ अलग ही किस्म के दर्द का एहसास हुआ...। लेकिन घटना के बाद जिस तरह से जजों की भूमिका को कटघरे में खड़ा किया जाने लगा वह हमारी उसी महत्वकांछा को दिखाता है... जिस महत्वकांछा की पूर्ती नहीं होने पर शिंजनी अपना सुध-बुध खो बैठी...। और जजों की भूमिका को सबसे ज्यादा गलत बताने की कोशिश की टेलीविजन मीडिया ने क्योंकि आधे घंटे का प्रोग्राम चलाने के लिए उन्होंने इस घटना जुडें दूसरे पहलुओं पर चर्चा की कोशिश ही नहीं की...।
मैं शिंजनी की हालत से दुखी जरुर हूं लेकिन ये मानने को बिल्कुल तैयार नहीं के जिम्मेवार शो के जज हैं... बल्कि मेरे लिहाज से मासूम शिंजनी अभी इतनी समझदार नहीं हुई थी कि वो स्टेज पर अपनी आलोचनाओं को बर्दाश्त कर सके... अगर जज शो में शिंजनी को गलतियों पर नसीहत नहीं देते तो आखिर उसे कौन बताता कि संगीत में आगे बढ़ने के लिए उसे और क्या करना चाहिए... उसी जज को जायज माना जाता है जो ईमानदार फैसला दे... और अगर फैसले की परिणति किन्ही कारणों से दुखद हो जाए तो इसमें जज की क्या गलती... लोकप्रियता पसंद आलोचक प्रवृति की मीडिया और लोगों के लिए जज इस मामले में सबसे सुलभ निशाना नजर आए इसलिए वे इसे भुना रहे है... और अगर वो शिंजनी की हालत के लिए जज को जिम्मेवार मानते हैं तो... ऐसे लोग भी कम बड़ा गुनाह नहीं कर रहे ... क्योंकि जिस तरीके से जज को सरेआम गुनाहगार घोषित किया जा रहा है... कहीं ऐसा न हो की अपराधबोध की भावना से ग्रसित होकर जज कुछ ऐसा-वैसा कदम उठा ले... तब गुनाहगार कौन होगा ?

इस हादसे के बाद रियलिटी शो को भी कटघरे में खड़ा किया जा रहा है। इन्हें भी कटघरे में खड़ा करने का काम वही चैनल कर रहे हैं जो 24 घंटे न्यूज चलाने का लाइसेंस लेकर 12 घंटे रियलिटी शो को रिकार्ड करके चलाते है...। लेकिन मसाला प्रेमी ऐसी मीडिया की बात पर कैसे यकीन करें... रियलिटी शो ने कई छुपे रुस्तमों से दुनिया का परिचय तो कराया ही... कितने होनहारों की जिंदगी भी बदल दी। कईओं को आगे बढ़ने का राह दिखाया तो इसके जरिए भावनात्मक संबंध भी जुड़े... । रियलिटी शो से प्रभावित होकर कई माता पिता ने अपने बच्चों के हुनर को तराशने में दिलचस्पी दिखाई। जो हमारे कलात्मक विकास के अनेकों वैराइटी की संभावनाएं बढ़ा रहा है।
शिंजनी रियालिटी शो के कैंडिडेट्स और उनके माता-पिता को एक सबक दे गई... कि इस खेल में भी धैर्य की जरुरत है... अपने आपको हरपल मजबूती से पेश करने की जरुरत है... हर विपरीत परिस्थितियों से जूझने की जरुरत है... अपनी आपको हार और जीत से उपर समझने की जरुरत है.. ये फार्मूला सभी बचपन से पढ़ते और सनते आएं हैं... लेकिन जरुरत पड़ने पर भूलते भी आए है... शिंजनी की घटना को मेरी शब्दों में कहें तों...
" दिल्लगी उतनी करो जिससे दिल बहल जाए,
इतना नहीं की दिलबर ही दिल का कातिल निकल जाए"

'छलिया' प्रभात

2 comments:

Raji Chandrasekhar said...

पहली टिप्पणी मॆरी ओर से....

आप ने अपना मत सशक्‍त शब्दों में प्रकट किया है ।

Suresh Gupta said...

अच्छी बकालत की है आपने रियालिटी शो की पर मेरे गले नहीं उतरी. कुछ तो ग़लत होगा इन में.